फर्जी ईडी-सीबीआई अधिकारी बनकर बुजुर्ग को बनाया शिकार, फंड सत्यापन के नाम पर हुई ठगी
झुंझुनूं जिले के रघुनाथपुरा गांव के 80 वर्षीय रिटायर्ड कर्मचारी हरलाल सिंह एक साइबर ठगी के शिकार हो गए। ठगों ने खुद को सीबीआई और ईडी अधिकारी बताकर डेढ़ महीने तक उन्हें "डिजिटल अरेस्ट" में रखा और उनकी निजी जानकारी हासिल की। ठगों ने फंड सत्यापन के बहाने 10 लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए और ड्रग्स के झूठे आरोप लगाकर धमकाया।
साइबर क्राइम के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं, बावजूद इसके लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं। ताजा मामला झुंझुनूं जिले के गुढ़ागौड़जी के गांव रघुनाथपुरा का है, जहां केंद्रीय मंत्रालय के रिटायर्ड कर्मचारी, 80 वर्षीय हरलाल सिंह, को साइबर ठगों ने डेढ़ महीने तक 'डिजिटल अरेस्ट' रखा। इस दौरान ठगों ने उन्हें ईडी और सीबीआई अधिकारी बताकर बैंक खातों और संपत्ति से जुड़ी तमाम गोपनीय जानकारी हासिल कर ली। ठगों ने इस बहाने से 10 लाख रुपए भी ट्रांसफर करवा लिए।
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कैसे शुरू हुआ मामला
13 सितंबर को हरलाल सिंह को एक कॉल आया, जिसमें कॉल करने वाले ने खुद को सीबीआई और ईडी का असिस्टेंट बताया। ठगों ने उन्हें डराने के लिए वॉट्सएप पर एक अरेस्ट वॉरंट और संपत्ति जब्त के आदेश की फर्जी कॉपी भी भेजी। इन दस्तावेजों को देखकर हरलाल सिंह घबरा गए और ठगों की बातों में आ गए। इस दौरान ठगों ने उनसे बैंक अकाउंट और चल-अचल संपत्तियों की जानकारी हासिल कर ली।
फंड सत्यापन के नाम पर ठगी
इसके कुछ समय बाद ठगों ने उन्हें कॉल कर बताया कि उनके अकाउंट से 10 लाख रुपए फंड सत्यापन के लिए आरबीआई को भेजने होंगे। ठगों ने उन्हें एक फर्जी अकाउंट नंबर देकर उसमें आरटीजीएस के माध्यम से पैसे ट्रांसफर करवा लिए। इस तरह 10 लाख रुपए की ठगी की गई।
ड्रग्स के झूठे आरोप में फंसाने की धमकी
इसके बाद ठगों ने उन्हें बताया कि उनके नाम से दिल्ली एयरपोर्ट पर एक पार्सल पकड़ा गया है, जिसमें ड्रग्स और फर्जी पासपोर्ट मिले हैं। इस पर हरलाल सिंह ने सफाई दी कि यह पार्सल उनका नहीं है, लेकिन ठगों ने उनकी बात नहीं सुनी और धमकाना जारी रखा।
ऐसे हुआ ठगी का खुलासा
24 अक्टूबर को हरलाल सिंह सीबीआई हेडक्वार्टर पहुंचे और ठगों के नंबर पर संपर्क किया। उनसे हेडक्वार्टर की फोटो भेजने को कहा गया, लेकिन घंटों इंतजार करने के बाद कोई नहीं आया। तब उन्होंने जांच की, जिससे पता चला कि उनके साथ ठगी हो चुकी है।