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Dholpur News: अब्दुला बीते 25 सालों से बना रहे खूबसूरत ताजिये, राजस्थान से लेकर यूपी तक इनके हाथ से बने ताजियों की मांग

Dholpur News: ताजियों को बनाने में बहुत मेहनत लगती हैं. इसे बनाने में रंग-बिरगें कागज, लकड़ी की खपच्ची और गोंद का इस्तेमाल किया जाता हैं. एक ताजिया को बनाने में 1 महीना का समय लगता हैं.

Dholpur News: अब्दुला बीते 25 सालों से बना रहे खूबसूरत ताजिये, राजस्थान से लेकर यूपी तक इनके हाथ से बने ताजियों की मांग
ताजिया के साथ अब्दुला

भारत के साथ पूरी दुनिया में 7 जुलाई को चांद दिखने के बाद मोहर्रम के महीने  शुरूआत हो गई. इस्लामिक कैलेण्डर के अनुसार साल पहला महीना मोहर्रम  होता है. ये महीना इस्लामिक धर्म के मुताबिक ये महीना हुसैन के शहादत से जुड़ा होता है. इस महीने के 10वें दिन ताजिये को सुपुर्द ए खाक किया जाता है और 9 और 10 तारीख को मुस्लिम समुदाय के लोद रोजा रखकर भी इबादत करते हैं. 



घरों और इमाम बाड़े में रखते है ताजिया

इस्लाम में मोहर्रम के 10वें दिन ताजियों का बड़ा महत्तव होता है. इसको मनाने वाले लोग अपने घरों में या इमाम बाड़े में ताजियों को रखते है. इसके साथ बाजार में ताजियों की डिमांड बढ़ गई है.  

 आगरा और मुरैना तक जाते है ताजियां

के पुरानी सराय इलाके में रहने वाले अब्दुला बीते 25 सालों से अपने परिवार के साथ मिलकर खूबसूरत ताजियों का निर्माण करते आ रहे हैं. उन्हानें बताया कि ताजिया बनाना उन्होनें अपने मामू से सीखा था. आज मामा से सीखा हुआ हुनर उनका रोजगार हैं. जिसे उन्होनें अपने बेटे को भी सिखाया हैं। वह ऑर्डर पर ताजिया तैयार करते हैं. उनके हाथ के बने ताजिया धौलपुर के अलावा आगरा और मुरैना तक जाते हैं. इस बार पूरे 10 ताजियों को तैयार करने का ऑर्डर मिला हैं. जिनमें से कुछ पूरे है और कुछ अधूरे हैं. उन्होंने बताया कि ताजियों को बनाने में बहुत मेहनत लगती हैं. इसे बनाने में रंग-बिरगें कागज, लकड़ी की खपच्ची और गोंद का इस्तेमाल किया जाता हैं. एक ताजिया को बनाने में 1 महीना का समय लगता हैं. पूरा परिवार दिन-रात मेहनत में जुटा रहता है. इस बार बाजार में 3 से 4 फिट तक के ताजियों की अधिक मांग हैं. ताजियों के आकार के अनुसार सभी की अलग-अलग कीमत हैं.

रिपोर्ट- राहुल शर्मा