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Rajasthan News: अंतिम यात्रा भी हुई मुश्किल, दूर-दूर तक रास्ता नहीं, हालात देख आप भी कहेंगे ये तो...

राजस्थान के प्रतापगढ़ में एक गांव में अंतिम संस्कार करना मुश्किल हो गया है। श्मशान घाट तक जाने के लिए कोई पक्की सड़क नहीं है, केवल कीचड़ भरा रास्ता है। आसमान के नीचे अंतिम संस्कार करने को ग्रामीण मजबूर हैं। हालात स्थानीय प्रशासन की लापरवाही उजागर करते हैं। 

Rajasthan News: अंतिम यात्रा भी हुई मुश्किल, दूर-दूर तक रास्ता नहीं, हालात देख आप भी कहेंगे ये तो...

कहते हैं, अन्त भला तो सब भला लेकिन जब अंतिम संस्कार में भी परेशानियों के साथ करना पड़े तो इस बारे में आप क्या कहेंगे। दरअसल, राजस्थान के प्रतापगढ़ से ऐसा ही मामला सामने आया है,जहां जिंदगीभर तो दिक्कतों का सामना किया ही लेकिन अंतिम यात्रा भी आसान नहीं रही, कई फीट-फीट तक भरे कीचर से निकलकर ग्रामीण अंतिम संस्कार करने को मजबूर है। कागजों पर अधिकारी चाहे कितने भी दावें करें लेकिन अगर सच्चाई देखी जाए तो हालात बद-बदतर है। सरकार की कोई योजना धरातल पर दिखाई नहीं दे रही है।

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आखिर क्या है पूरा मामला ?

जानकारी के अनुसार,बीते दिनों प्रतापगढ़ की ग्राम पंचायत असावता के गांव रामगढ़ में  एक बुजुर्ग शख्स का निधन हो गया। ग्रामीणों के लिए सबसे चुनौती श्मशान घाट तक पहुंचना था। जहां तक जाने के लिए पक्की सड़क भी नहीं है, कच्ची सड़क से जाने वाले इस रास्ते में दूर-दूर तक केवल कीचड़ है।  ये रोड इतनी खतरनाक है कि कई बार लोग गिरकर चोटिल भी हो चुके हैं। बारिश के मौसम में हाल-बेहाल हो जाता है। वहीं, गांव के लोग खुले आसमान के नीचे अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर हैं। खुले आसमान के नीचे गीली लकड़ियों के कारण चिता नहीं जल पाती,ऐसे में ग्रामीण टायर और ज्वलनशील पदार्थों का उपयोग करने पर मजबूर हो जाते हैं।

शिकायत के बाद भी नहीं लिया संज्ञान

वहीं, ग्रामीणें का आरोप है कि पंचायत सचिव और सरपंच ने पिछले 5 सालों में विकास कार्यों को नजरअंदाज किया है। उन्होंने शमशान घाट और सड़क निर्माण के लिए बजट को कागजों में जरूर दिखाया लेकिन असल में सच्चाई कुछ और है। स्थानीयों की मांग है जल्द से जल्द शमसान घाट तक सड़क बनाई जाए ताकि अंतिम संस्कार तो ठीक से किया जा सके। ग्रामीणों का कहना है इससे पहले 2016-17 में पूर्व सरपंच कैलाशी बाई के विकास कार्य न करवाने की शिकायत जिला कलक्टर को ज्ञापन देकर की गई थी लेकिन 7-8 साल बीत गए लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

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