Trendingट्रेंडिंग
वेब स्टोरी

और देखें
वेब स्टोरी

Jaipur News: अब राजस्थान में कचरे से बनेगी बिजली ! 1 घंटे में 12 मेगावाट का उत्पादन, जानें कैसे काम करेगा प्लांट

जयपुर में कचरे से बिजली बनाने वाला राजस्थान का पहला वेस्ट टू एनर्जी प्लांट बन रहा है। यह प्लांट शहर के कचरे और सीवेज वेस्ट का इस्तेमाल करके 12 मेगावाट बिजली का उत्पादन करेगा,जिससे शहर की बिजली सप्लाई की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी।

Jaipur News:  अब राजस्थान में कचरे से बनेगी बिजली ! 1 घंटे में 12 मेगावाट का उत्पादन, जानें कैसे  काम करेगा प्लांट

आपने कोयले, थर्मल पावर से बिजली बनते हुए तो जरूर देखी होगी लेकिन अब कचरे से बिजली बनाने के बारे में भी जान लीजिए। दरअसल, राजस्थान के जयपुर में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाया जा रहा है। ये सूबे का पहला ऐसा प्लांट है जिसमें कचरे से इलेक्ट्रिसिटी बनाई जाएगी। वैसे तो ये विदेशों में ज्यादा प्रयोग की जाती है हाालांकि अब, मुंबई, पुणे, दिल्ली, जबलुपर और इंदौर जैसे मेट्रो पॉलिटन सिटी में भी ये प्लांट लगाए जा चुके हैं। राजधानी जयपुर में लगाए जा रहे इस प्लांट की लागत 180 करोड़ रुपए है। मार्च 2025 तक इसका निर्माण पूरा हो सकता है। जबकि अगले साथ कचरे से उत्पादित बिजली की सप्लाई शुरू की जा सकती है। 

ये भी पढ़ें-

कचरे के साथ सीवरेज बेस्ट पानी का इस्तेमाल

प्लाट की ज्यादा जानकारी देते हुए जयपुर नगर निगम कमिश्नर अभिषेक सुराणा ने बताया कि, लांगडियावास गांव में बन रहे इस प्लांट में कचरे के साथ-साथ सीवरेज के वेस्ट पानी का भी यूज होगा। नगर निगम ग्रेटर और हेरिटेज क्षेत्र में डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण किया जाता है जिसे बाद में इस प्लांट में भेजा जाएगा। कचरे को प्रोसेस करके बिजली का उत्पादन किया जाएगा और इसके साथ शहर के सीवरेज के पानी को भी बिजली उत्पादन के लिए उपयोग किया जाएगा।

इस तरह काम करेगा पावर प्लांट

वहीं, नगर निगम के अधिकारियों के अनुसार, इस प्लांट में शहरभस से लाए कचरो रेजिड्यू ड्राई फ्यूल में बदला जाएगा। जिसके बाद इसे यूज बायलर में होगा। जिससे भाप के साथ हीट बनेगी और पावर आसानी से जनरेट होगी और ये फिर पानी में बदल जाएगी। ये प्रकिया लगातार चलती रहेगी। वहीं, प्रोसेसिंग के दौरान  उत्पन्न गैसों का भी एफजीडी और बैक फिल्टर के माध्यम से ट्रीटमेंट होगा। यह प्रक्रिया पूरे 24 घंटे चलेगी, और अनुमान है कि प्रतिदिन लगभग 1 हजार टन कचरे का इस्तेमाल किया जाएगा। इस प्रक्रिया से प्रति घंटे 12 मेगावाट यानी 12 हजार यूनिट बिजली का उत्पादन होगा।