Rajasthan News : जनसुनवाई में उठी बगावत की चिंगारी, हारे प्रत्याशियों की दखलंदाजी पर बवाल, अधिकारियों की कुर्सी डगमगाई
कलेक्टर कार्यालय के वीसी हॉल में हुई इस जनसुनवाई में डीडवाना, मकराना, लाडनूं और परबतसर के विधायक उपस्थित रहे। जिला कलेक्टर पुखराज सैन ने 50 से अधिक परिवादों को सुना और संबंधित विभागों को शीघ्र निस्तारण के निर्देश दिए।
डीडवाना में जिला स्तरीय जनसुनवाई में एक नया मोड़ तब आया जब सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों ने एक सुर में प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए। जनता की समस्याओं से ज्यादा, विधायकों का गुस्सा प्रशासनिक अधिकारियों की मनमानी और "पावर प्ले" पर फूटा।
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कलेक्टर कार्यालय के वीसी हॉल में हुई इस जनसुनवाई में डीडवाना, मकराना, लाडनूं और परबतसर के विधायक उपस्थित रहे। जिला कलेक्टर पुखराज सैन ने 50 से अधिक परिवादों को सुना और संबंधित विभागों को शीघ्र निस्तारण के निर्देश दिए।
जनसुनवाई में उठी बगावत की चिंगारी
जनसुनवाई में सबसे ज्यादा पानी, बिजली, सड़क और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े मुद्दे उठाए गए। परबतसर विधायक रामनिवास गावड़िया ने स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि उप-जिला अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है। उन्होंने बिजली विभाग के अधिकारियों की गैरमौजूदगी पर भी कड़ी नाराजगी जताई।
प्रशासन पर भारी पड़े विधायक
लाडनूं विधायक मुकेश भाकर ने प्रशासन पर जाति और धर्म के आधार पर स्थानांतरण और भेदभाव का आरोप लगाते हुए इसे कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि प्रशासन को जनता की समस्याओं का निष्पक्षता से समाधान करना होगा, नहीं तो जिले में सरकार के कार्यक्रमों का विरोध किया जाएगा।
विधायकों ने दिखाया प्रशासन को आईना
विधायकों ने एकजुट होकर कहा कि पार्टी या धर्म से परे, जनता के हित सर्वोपरि हैं। वहीं, जिला कलेक्टर ने भरोसा दिलाया कि समस्याओं का समाधान जल्द किया जाएगा और भविष्य में ऐसी जनसुनवाई नियमित रूप से आयोजित की जाएगी।
इस जनसुनवाई ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच समन्वय की आवश्यकता को स्पष्ट किया, जिससे जनता की उम्मीदें बढ़ी हैं कि उनकी समस्याओं का समाधान शीघ्र होगा।
जनप्रतिनिधियों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं: विधायक
इस घटनाक्रम ने एक नई राजनीतिक तस्वीर पेश की जहां विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष के विधायक भी प्रशासन से नाखुश नजर आये। जनसुनवाई में उठे बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य जैसे मुद्दे कहीं पीछे छूट गये और विधायकों का फोकस प्रशासन पर अपनी पकड़ मजबूत करने पर केंद्रित हो गया। ये देखना दिलचस्प होगा कि इस नए राजनीतिक समीकरण का जनता और प्रशासन पर क्या असर पड़ता है।
रिपोर्ट - मोहम्मद साकिर