कौन है किरोड़ी लाला मीणा, जिनके इस्तीफे ने राजस्थान की सियासत में ला दिया भूचाल, ऐसे शुरू किया था राजनेता बनने का सफर
Kirodi Lal Meena Resigns: राजस्थान सरकार में कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने आज यानि गुरूवार को अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया. लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद से ही उनके इस्तीफे के कयास सभी लोग लगा रहे थे. आज उनकी राजनीतिक सफर एक नजर डालते है.
किरोड़ी लाल मीना (जिन्हें किरोड़ी बाबा के नाम से भी जाना जाता है) का जन्म 3 नवंबर 1951 को राजस्थान के दौसा में हुआ था. उन्होंने 1977 में राजस्थान विश्वविद्यालय के अंतर्गत बीकानेर के एसपी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की. उनकी शादी गोलमा देवी मीना से हुई है, वह 14वीं राजस्थान विधानसभा की सदस्य हैं. उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन भारतीय जनता पार्टी से शुरू किया, उन्होंने 2008 में भाजपा छोड़ दी लेकिन 2018 में फिर से इसमें शामिल हो गए. एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और भजनलाल सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने इस्तीफा देकर भाजपा में खलबली मचा दी है.
वसुंधरा राजे से खटास के चलते 10 साल बीजेपी से रहे बाहरडॉ किरोड़ी लाल मीणा छात्र जीवन से ही राजनीति में काफी सक्रिय थे. वे पहली बार वर्ष 1985 में महुवा विधानसभा से विधायक चुने गए थे. फिर 1998 में बामनवास विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. उसके बाद साल 2003 में सवाई माधोपुर से सीट जीत हासिल की और वसुंधरा राजे की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने. वे 2003 से 2008 तक बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे. इसके बाद उनके और वसुंधरा राजे के सब कुछ ठीक ना रहा और दोनों के बीच मन मुटाव हो गया. जिसके बाद डॉ किरोड़ी लाल मीणा ने भाजपा छोड़ दी. 2008 का विधानसभा चुनाव उन्होंने टोडाभीम विधानसभा सीट से निर्दलीय रूप से लड़ा और विधायक बने. इसके बाद साल 2013 में उन्होंने पीए संगमा की पार्टी में शामिल हुए और 150 सीटों पर प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे. जिसमें से 4 सीटों पर जीत हासिल हुई. इसके बाद 2018 में 10 सालों बाद भाजपा में फिर से वापसी की.
2008 में गहलोत सरकार को दिया था समर्थन
डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने 2008 विधानसभा चुनाव में टोडाभीम विधानसभा क्षेत्र से और उनकी पत्नी गोलमा देवी महुआ विधानसभा सीट निर्दलीय विधायक चुनी गई थी. उस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सरकार बनाई थी. जिसे डॉ किरोड़ी लाल मीणा और उनकी पत्नी का समर्थन मिला था और अशोक गहलोत सीएम बने थे. तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने मंत्री मंडल में गोलमा देवी को स्थान दिया था और उन्हें खादी और ग्रामोद्योग राज्यमंत्री बनाया गया था. लेकिन कुछ समय बाद गोलमा देवी ने पद से इस्तीफा दे दिया था.
आदिवासी वोटों का रुख भाजपा की तरफ मोड़ने वालेडॉ किरोड़ी लाल मीणा छात्र जीवन के शुरुआती दिनों से ही राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से जुड़ गए थे. राजस्थान में आदिवासी वोट को भाजपा की झोली में डालने का श्रय उन्हें ही जाता है. यह कहा जाता है कि मीणा समुदाय कांग्रेस पार्टी का परम्परागत वोट बैंक रहा है. आदिवासी मीणा समुदाय में उनकी गहरी पैठ है और लम्बे समय तक वो मीणा समुदाय के स्वीकार्य नेता रहे हैं. हालांकि बाद के दौर में उन्हें चुनौती मिलती रही और आज यह बात यकीन के साथ कहना मुश्किल है कि करोड़ी लाल मीणा मीणा समुदाय के सबसे बड़े नेता हैं. हालांकि उनका प्रभाव आज भी कम नहीं है.
पूर्वी राजस्थान में दबदबाकिरोड़ी लाल मीणा मूलतः दौसा जिले के महवा के रहने वाले हैं और 1985 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर वो महवा विधानसभा सीट से ही पहली बार विधायक बने थे.इसके अलावा दो अलग- अलग सीटों दौसा और सवाई माधोपुर से लोकसभा चुनाव जीते और बाद में भाजपा ने उन्हें 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सभा भेज दिया.