पांचवे दिन भी जारी है UPPSC छात्र आंदोलन, RO/ARO परीक्षा पुराने पैटर्न पर हो
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के बाहर RO/ARO परीक्षा के पैटर्न को लेकर छात्रों का धरना पांचवे दिन भी जारी है। छात्रों की मांग है कि RO/ARO परीक्षा को पुराने पैटर्न पर कराया जाए, जैसा कि पीसीएस परीक्षा के लिए किया गया था। वे अपने संघर्ष को जारी रखते हुए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से अपील कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के बाहर प्रतियोगी छात्रों का प्रदर्शन लगातार पांचवे दिन भी जारी है। छात्र RO/ARO (रिव्यू ऑफिसर/असिस्टेंट रिव्यू ऑफिसर) परीक्षा के पैटर्न को लेकर अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं।
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हाल ही में आयोग ने घोषणा की थी कि पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा पुराने पैटर्न पर कराई जाएगी। इस फैसले से छात्रों में थोड़ी राहत जरूर आई थी, लेकिन उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि जब तक RO/ARO परीक्षा को भी पुराने पैटर्न पर कराने की घोषणा नहीं की जाती, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
RO/ARO परीक्षा को लेकर छात्रों की मांगें जारी
आज सुबह आयोग के सामने छात्रों की संख्या में कमी देखी गई, लेकिन प्रदर्शन में उनका उत्साह बरकरार है। छात्रों की प्रमुख मांग है कि RO/ARO परीक्षा को एक ही दिन में आयोजित किया जाए और नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को परीक्षा से बाहर रखा जाए। प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है कि वे दिन-रात भूखे-प्यासे आयोग के बाहर धरने पर डटे हुए हैं और सरकार से न्याय की उम्मीद कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से की गई अपील
धरना दे रहे छात्रों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि जिस तरह पीसीएस परीक्षा के लिए पुराने पैटर्न की घोषणा की गई, उसी तरह RO/ARO परीक्षा को भी पुराने पैटर्न पर कराने की घोषणा की जाए। उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे आयोग के सामने अनिश्चितकालीन धरना जारी रखेंगे।
आंदोलन का भविष्य, भीड़ का असर?
पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा के पुराने पैटर्न पर वापस लौटने की घोषणा के बाद से यह देखना दिलचस्प होगा कि धरने में जुटी भीड़ में कितनी संख्या में लोग अब भी शामिल होते हैं। पिछले चार दिनों में बड़ी संख्या में छात्र आयोग के सामने प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन आज भीड़ में कुछ कमी दिखाई दी। इसके बावजूद, छात्रों के संकल्प में कोई कमी नहीं आई है और वे अपनी मांगों पर अडिग बने हुए हैं।