Jodhpur अस्पताल में लापरवाही की हदें पार, ईसीजी करने का अनोखा तरीका, YouTube का सहारा, मरीज की जान से खिलवाड़! देखें
इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें साफ दिखाई दे रहा है कि कैसे ये हेल्पर YouTube पर वीडियो देख-देखकर मरीज का ईसीजी कर रहा है।
जोधपुर के एक अस्पताल से मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है। यहां एक मरीज की ईसीजी, कोई प्रशिक्षित चिकित्सक नहीं बल्कि एक हेल्पर कर्मचारी ने YouTube देखकर की। घटना पावटा सेटेलाइट अस्पताल की है, जहां मरीज और उसके परिजनों की बार-बार की परेशानियों के बावजूद, इस कर्मचारी ने अपनी हरकत जारी रखी। परिजन लगातार कहते रहे कि अगर उन्हें ईसीजी करना नहीं आता तो किसी और को बुला लें, लेकिन उनकी एक न सुनी गई।
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यूट्यूब पर देखकर की गई ईसीजी
इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें साफ दिखाई दे रहा है कि कैसे ये हेल्पर YouTube पर वीडियो देख-देखकर मरीज का ईसीजी कर रहा है। वीडियो में मरीज के परिजनों की चिंता और गुस्सा साफ झलक रहा है। वे हेल्पर पर मरीज की जान से खिलवाड़ करने का आरोप लगा रहे हैं।
सरकारी अस्पतालों में चल रहा जानलेवा खेल।
— Bhawani Singh (@BhawaniSinghjpr) November 2, 2024
जोधपुर के पांवटा में सेटेलाइट अस्पताल में दीपावली पर स्टाफ गायब था
अस्पताल के हेल्पर ने मरीज को लिटाकर यू ट्यूब से देखकर ईसीजी जांच की।
मरीज और परिजनों ने रोका तो कहा टेक्निशियन छुट्टी पर हैं मुझे जांच करनी नहीं आती।
इससे पहले जयपुर… pic.twitter.com/DKBhP6HQ5c
हेल्पर खुद बना टेक्नीशियन
वहीं, वीडियो में हेल्पर ये कहते हुए सुनाई दे रहा है कि वो लैब टेक्नीशियन नहीं है और असली टेक्नीशियन दिवाली की छुट्टी पर है। उसका तर्क था कि उसने सभी उपकरण सही जगह पर लगाए हैं और मशीन ही अपना काम करेगी।
जोधपुर के पावटा सेटेलाइट अस्पताल में एक हेल्पर ने यूट्यूब देखकर मरीज की ECG की। यह घटना दीपावली के दिन हुई जब अस्पताल में स्टाफ की कमी थी।#Rajasthan pic.twitter.com/JbrqaMdNUz
— RAJESH KUMAR (@RajeshK38247873) November 2, 2024
सरकारी अस्पतालों में बड़ी लापरवाही
इस वीडियो के वायरल होने के बाद प्रशासन हरकत में आया है। मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल बी. एस. जोधा ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं और आश्वासन दिया है कि जांच के बाद दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ये घटना एक बार फिर सरकारी अस्पतालों में बड़े पैमाने पर लापरवाही और प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी की ओर इशारा करती है।