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Rajasthan News: उपचुनाव के बीच गाय पर राजनीति, महाराष्ट्र की तर्ज पर राज्यमाता का दर्जा देने की चर्चा !

राजस्थान में गाय को "राजमाता" का दर्जा देने की चर्चा तेज, महाराष्ट्र के बाद राजस्थान भी इस दिशा में आगे बढ़ रहा है। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के बयान और गोवंश को "अवारा" कहने पर रोक के बाद राजस्थान में गायों को लेकर राजनीति गरमा रही है।

Rajasthan News: उपचुनाव के बीच गाय पर राजनीति, महाराष्ट्र की तर्ज पर राज्यमाता का दर्जा देने की चर्चा !

राजस्थान में एक तरफ उपचुनाव की सरगर्मी है तो दूसरी ओर गाय पर राजनीति दिन पर दिन गरमाती जा रही है। बीते दिनों भजनलाल शर्मा सरकार ने गोवंशों को अवारा कहने पर रोक लगा दी थी। इसी बीच खबर आ रहा है कि सरकार जल्द ही गाय को जल्द ही राज्यमाता का दर्जा दे सकती है हालांकि  इस बारे में सरकार की ओर से अभी तक कुछ भी नहीं कहा गया है। सूत्रों के अनुसार सरकार, महाराष्ट्र में आला-अधिकारियों से इस कानून की जानकारी ले रही है। जहां सितंबर महीने में गाय को गोमाता का दर्जा दिया गया था। गौरतलब है, राजस्थान में आये दिन गोतस्करी के मामले सामने आते रहते हैं। ऐसे में अगर गाय को राज्यमाता का दर्जा दिया जाता है तो ऐसा करने वाला वह दूसरा राज्य होगा।

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शिक्षा मंत्री दिलावर के बयान ने किया बड़ा इशारा 

इससे इतर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर से इन बातों को और बल मिलता है। उन्होंने प्राइमरी स्कूलों में किताबों में गौमाता के बारे में पढ़ाये जाने पर बान दिया था। उन्होंने कहा था, इस बारे में एक्सपर्ट्स से बात की जाएगी, अगर संभव होता है तो प्राइमरी स्कूल की किताबों में गौ माता से जुड़ी जानकारी दी जाएगी। अब राजस्थान में गायों को अवारा कहना बैन है। यहां पर इसकी जगह  लोग निराश्रित शब्द का प्रयोग करेंगे। वहीं, इस बारे में पशुपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने गाय को सांस्कृतिक विरासत का अहम हिस्सा बताया था। 

महाराष्ट्र के बाद राजस्थान में मांग हुई तेज 

बता दें, महाराष्ट्र में देसी को राज्यमाता दर्जा देने के बाद राजस्थान में भी लंबे वक्त से ये मांग उठ रही है। इतना ही नहीं राजस्थान के विधायक इस बात की मांग कर चुके हैं। यहां तक विधायकों द्वारा खास कैंपेन भी शुरू किया गया था। उनका मानना था प्रदेश सरकार को गौ माता को राज्यमाता का दर्जा देने में बिल्कुल भी वक्त नहीं लगाना चाहिए। वहीं, इस बारे में भजलाल सरकार ने नेताओं को आश्वासन दिया था। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बीजेपी-निर्दलीय मिलाकर अभी तक 31 विधायक  इस विषय पर मुख्यमंत्री को पत्र लिख चुके हैं।